”अन्तिम नमन"

२३ जनवरी, २०२१

”अन्तिम नमन"

आशाओं की
टूट गई बैसाखी
सूखे तालाब से
उड़ गये पाखी

ओलों ने लूटा
टूटी फूस की टाटी
हड्डियां टूटी छूटी
आत्मा घर घाटी

टूटी हड्डियों से
अर्थी बना लेना
धोती का कफन
पगड़ी के फूल बना लेना

अमर रहे भारत
हिंसा को जला देना
घृणा की आहुति
प्रेम बीज उगा देना

शेष अस्थियों पर
तिरंगा फहरा देना
जय जवान जय किसान
मुक्त स्वर से गगन गुञ्जा देना

कोटि-कोटि नमन
हे वसुंधरे माँ भारती
स्वीकार करो मेरी
यह अन्तिम आरती

जय हिन्द जय जवान
जय हिन्द जय किसान

भँवरलाल दाधीच।

Comments

  1. आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं और ये उम्मीद करता हूं कि सरकार किसान और जवान की समस्याओं पर विचार कर उसका उचित निवारण करेगी🌹🙏

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